बयालीस साल बाद आया न्यायालय का अद्भुत फैसला, ना हम जीते ना तुम हारे

[caption id="attachment_4988" align="alignnone" width="1032"]फोटो-सिविल जज जूनियर डिवीजन मुहम्मदाबाद गाजीपुर फोटो-सिविल जज जूनियर डिवीजन मुहम्मदाबाद गाजीपुर[/caption]

मुहम्मदाबाद (रविन्द्र यादव) : दीवानी न्यायालय ने मंगलवार को देर शाम जब एक बयालीस साल पुरानी दीवानी वाद संख्या 20 सन 1977 में , ना तुम जीते ना हम हारे की सूक्ति को चरितार्थ करते हुए अपना फैसला सुनाया तो क्या वादकारी क्या अधिवक्ता बस यही कहते रहे कि यदि इरादे नेक हो लक्ष्य ही अपनी मंजिल हो तो सीमित संसाधन और समय में भी अपनी कार्य को पूरा किया जा सकता है।

विदित हो कि स्थानीय दीवानी न्यायालय में 1977 में ग्राम खेमपुर निवासी सुदेश्वर ने एक मुकदमा सुदेश्वर बनाम शिवकुमार आदि दाखिल किया था तमाम कानूनी अड़चनों न्यायिक व्यवस्था के बीच पक्षकारो का विवाद करीब 42 वर्ष से चल रहा था लेकिन इस मुकदमे में उस वक्त मोड़ आ गया जब पीठासीन अधिकारी प्रदीप कुमार कुशवाहा ने रुचि लिया तथा अधिवक्ता और वादकारियों से मुकदमे को सुलह के आधार पर निर्णय करने की अपील की और इस कार्य के लिए विनम्र अनुरोध किया उनकी विनम्रता इस विवाद पर भारी पड़ा और पक्षो में अन्ततः सुलह हो गयी ।

पीठासीन अधिकारी प्रदीप कुमार कुशवाहा ने कहा इस वाद को निस्तारित करने में अधिवक्ता बंधु व पक्षकारो से काफी सहयोग मिला इसके लिए वे धन्यवाद के पात्र है और उन्हें दिल से बधाई देता हूँ । सुलह से आये फैसले में किसी पक्षकार की हार जीत नही होती बल्कि आपसी प्रेम और सौहार्द्र बढ़ता है वादी की पैरवी अधिवक्ता जावेद अहमद और प्रतिवादी की पैरवी सतीश प्रजापति ने किया।

सुलह अधिकारी व सेंट्रल बार के निवर्तमान अध्यक्ष अधिवक्ता आलोक कुमार राय ने कहा कि कई पुराने वाद में जल्द निर्णय आ सकता है इसके लिए सारे अधिवक्ता बंधु प्रयासरत है । न्यायालय के 2019 के अंतिम कार्य दिवस पर आया फैसला प्रशंसनीय और स्वागत योग्य है । बार के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दयाशंकर दुबे ने इसे अदभुत फैसला बताया तथा पक्षकारो को बधाई दी ।

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