जब पिता की याद में सचिन ने लगाई सेंचुरी - वीर विनोद छाबड़ा


23 मई 1999, इंग्लैंड का ब्रिस्टल शहर। उस दिन एक दिनी वर्ल्ड कप टूर्नामेंट का 15 वां मैच था, इंडिया और केन्या के बीच। हालांकि केन्या किसी भी मायने में इंडिया से बेहतर टीम नहीं थी और इंडिया का उसके विरुद्ध ट्रेक रिकॉर्ड भी बेहतर था। लेकिन इस सबके बावजूद स्थितियां सामान्य नहीं थीं। इंडिया अपने ग्रुप के दोनों शुरुआती मैच हार चुकी थी, जिसमें पिछले मैच में ज़िंबाबवे से मिली तीन रन की हार भी शामिल थी। अब इंडिया पर सुपर सिक्स में पहुंचने के लिए अगले तीनों मुक़ाबले जीतने का भारी प्रेशर था। एक और कारण भी था स्थिति के असामान्य होने का। पिछली 19 मई को ही तो सचिन के पिता और उनके फिलॉस्फर रमेश तेंदुलकर का हार्टफेल हुआ था। ये दुखद खबर उनकी पत्नी अंजलि ने उन्हें दी थी। सचिन को विश्वास नहीं हुआ, पिता को हार्ट की प्रॉब्लम थी, मगर वो उन्हें ठीक हालात में छोड़ कर आये थे। दिल टूट गया उनका। भावनाओं को नियंत्रित करना कठिन हो रहा था। इधर साउथ अफ्रीका से पहला मैच हार चुके थे और अगले दिन ज़िंबाबवे से मुकाबला था। सचिन की टीम को बहुत ज़रूरत थी। लेकिन पिता की अंतिम विदा की बेला में सचिन की उपस्थिति भी बहुत आवश्यक थी। मैनेजर ब्रजेश पटेल ने सचिन को बंबई जाने की आज्ञा दे दी। अगर लौट कर न भी आओ तो भी चलेगा।
लेकिन सचिन लौट आये, केन्या से मैच शुरू होने की पूर्व संध्या पर। स्वर्गीय पिता भी यही चाहते थे, खेल के प्रति समपर्ण और देश के लिए खेलना पहले। पिता को इससे बड़ी श्रद्धांजलि दूसरी नहीं हो सकती।
बहरहाल, केन्या ने टॉस जीत कर इंडिया को बैटिंग दी। इंडिया 97 पर 2 विकेट। सचिन तेंदुलकर चार नंबर पर बैट करने आये। उनकी आँखें नम थीं, पिता का धुंधला चेहरा सामने था। सचिन की विपदा से वाकिफ़ ऑडियंस ने खड़े होकर ताली बजा कर हौंसला बढ़ाया। साथी राहुल द्राविड़ ने सचिन की पीठ थपथपाई। सचिन के लिए ये बहुत भारी दिन था। पिता के बिना पहली बार क्रिकेट के मैदान पर हैं। उन्होंने आसमान की ओर देखा। मन ही मन पिता को नमन किया और खुद को एकाग्र कर जुट गए रन बनाने में। 54 गेंद पर पहले 50 रन। उन्होंने बैट आसमान की ओर उठाया, पिताजी ये आपकी याद में। फिर जल्दी ही सौ पूरे किये। एक बार फिर बल्ला आसमान की ओर उठा। नमन पिता जी। आपका आशीर्वाद है, तभी मजबूती से खेल रहा हूँ। और इनिंग की अंतिम गेंद पर सचिन ने छक्का लगा कर 140 रन पूरे किये, मात्र 101 गेंदों पर, अपार दुःख में भी तूफानी इंनिग। सबकी पलकें भीगी हुईं, सलाम सचिन। दूसरे छोर से राहुल द्राविड़ ने भी सेंचुरी लगाई, लेकिन किसी को उसका ख़्याल नहीं आया। ऐसी परिस्थिति में होता है ऐसा। इंडिया की 329 पर 2 विकेट के जवाब में केन्या 94 रन से हार गयी।
ये सचिन की वापसी का ही इफ़ेक्ट रहा कि इंडिया अगले दोनों मैच भी जीती और सुपर सिक्स में पहुंची। लेकिन यहाँ सिर्फ़ पाकिस्तान को ही हरा पायी इंडिया, जिसमें सचिन के 46 रन का बेशकीमती योगदान रहा।
--- वीर विनोद छाबड़ा

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