पहला ट्वेंटी-20, बेहतर टीम जीती



विशाखापत्तनम ट्वेंटी-20 में आज भले टीम इंडिया का दिन नहीं था, लेकिन मज़ा आ गया। आख़िरी ओवर तक कोई भी शर्त लगा कर बता नहीं सकता था कि कौन जीतने जा रहा है? चौदह रन चाहिए थे। लेकिन आखिर में जीत ऑस्ट्रेलिया की हुई। हालांकि विलेन बनाये गए उमेश यादव, उन्होंने रन पिटवा दिए। लेकिन उनकी गलती ज़्यादा नहीं है, अब वो कोई बुमराह, शमी या भुवी तो थे नहीं कि उन पर ज़्यादा भरोसा किया जाता। जीवन-मरण का प्रश्न था, ऑस्ट्रेलिया के लिए। कोई भी होता, उन्हें तो पीटना ही था। और आखिरी गेंद पर दो रन तो फील्डरों ने दे दिए।
मगर संतोष इस बात का रहा, जीत उसी की हुई जो शुरू से ही बढ़िया खेला। टीम इंडिया बहुत ख़राब खेली। कोहली 24 और धोनी 37 गेंद पर 29 नॉट आउट। शार्ट फॉर्मेट में कोई ज़्यादा गेंद पर कम रन बनाये तो हैरानी तो होती ही है, अफ़सोस ज़्यादा होता है। और आख़िरी 10 ओवर में 46 रन पर चार विकेट खोने वाली टीम अगर जीत के बारे में सोचे तो सपना देखना ही कहा जाएगा। यक़ीन जानिये अगर ये मैच अगर टीम इंडिया जीत जाती तो हम खुश तो बहुत होते। लेकिन साथ ही कहना पड़ता कि क्रिकेट वाकई महान अनिश्चितताओं का खेल है, मेहनत-मशक्कत सब कूड़ा है, चांस की बात है। ये तो भला हो लोकेश राहुल का कि ऐन मौके पर फॉर्म में लौटे। 36 गेंद पर 50 रन बनाये। उनका फॉर्म में लौटना टीम इंडिया के भविष्य के लिए भी बहुत अच्छा है। बशर्ते उनकी बैटिंग में निरंतरता बनी रहे।
तारीफ़ के काबिल रहे जसप्रीत बुमराह जिन्होंने 16 रन देकर 3 विकेट लिए, जिसमें दो विकेट तो उन्होंने 19 वें ओवर में लिए और टीम इंडिया को गेम में वापस ले आये। लेकिन पेट कमिंस और जे रिचर्डसन ने आखिरी ओवर में ज़रूरी 14 रन बना लिए। 26 रन पर 3 विकेट लेने वाले नाथम कुल्टर नाइल्स मैन ऑफ़ दि मैच बने। ऑस्ट्रलियाई बैटिंग के हीरो रहे, 43 गेंद पर 56 रन बनाने वाले ग्लेन मैक्सवेल।
आखिरी स्कोर - टीम इंडिया 126/7 विकेट पर और ऑस्ट्रेलिया 127/7 विकेट पर। स्कोर के आधार पर वाकई लगता है न, टक्कर का खेल।
ऑस्ट्रेलिया को बधाई और टीम इंडिया की बॉलिंग और फील्डिंग के लिए सांत्वना, प्लेड वेल।
                                 ~ वीर विनोद छाबड़ा

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