मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु अहंकार होता है : मानस मर्मज्ञ श्री यमुना प्रसाद ओझा



बाराचवर(गाजीपुर): करीमुद्दीनपुर थानाक्षेत्र के लौवाडीह में चल रहे संगीतमय श्री राम कथा के पांचवे दिन की कथा का शुभारंभ सरजू राय मेमोरियल डिग्री कालेज के कार्यकारी प्रबन्धक युवा समाजसेवी हिमांशु राय ने व्यास पूजन और आरती कर किया। राम कथा कहते हुए मानस मर्मज्ञ श्री यमुना प्रसाद ओझा ने कहा कि मनुष्य के आंतरिक शत्रु काम क्रोध लोभ और मद अर्थात अहंकार में सबसे बड़ा शत्रु अहंकार होता है

अहंकार जिस मनुष्य को हो जाय उसका विकास अवरुद्ध हो जाता है और उसका विनाश हो जाता है। काम को अहंकार हो गया कि जब वे शिवजी को अपनी कामशक्ति से पराजित कर दिए तो मनुष्य के रूप में जन्मे राम की क्या विसात। काम और राम में युद्ध होता है जिसमे राम काम को आसानी से पराजित कर देते है। जहाँ काम समाप्त होता है वहां राम नाम प्रारम्भ होता है। जहाँ लोभ क्रोध नहीं होता वहां राम विराजमान होते है। राम का नाम तभी हृदय में स्थापित होगा जब मनुष्य काम, क्रोध, लोभ, मद और मत्सर अर्थात ईर्ष्या पर विजय प्राप्त कर सके और इन पर विजय रामकथा के श्रवण से ही संभव है। राम कथा श्रवण से ही मनुष्य की आसुरी मनोवृत्तियां बदल कर दैवीय हो जाएंगी। कथा श्रवण में जनक देव राय, देवेंद्र राय, पारसनाथ पांडेय, आशुतोष राय, संजू राय, सत्यम ओझा, जयप्रकाश शर्मा, शिवम ओझा, ओमप्रकाश शर्मा, चंदन शर्मा, कल्लू गुप्ता, अंकित राय, आयुष राय, योगेश राय, अवनिश राय, रामचंद्र राय, रविन्द्र नाथ राय समेत सैकड़ों की संख्या में कथा श्रोता मौजूद रहे।

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