बुजुर्गों को ढांढस बंधाती है ‘हेल्थ एंड वेलबीइंग इन लेट लाइफ’



नई दिल्ली। पुस्तक लेखन की एक विशेषता यह होती है कि अगर इसे रुचिकर तरीके से लिखा गया हो तो पढ़ने वाला इसे खुद से जुड़ा पता है। ऐसी ही कुछ खूबियां पुस्तक ‘हेल्थ एंड वेलबीइंग इन लेट लाइफ’ की भी हैं। इसे जैसे-जैसे मैंने पढ़ा तो लगा कि यह मेरे लिए ही लिखी गई है। यह पुस्तक उम्र के बढ़ते पड़ाव पर लोगों को ढांढस बधाने का काम करती है। 



यह बात गुजरात के पूर्व राज्यपाल ओम प्रकाश कोहली ने नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी कला केन्द्र (आईजीएनसीए) में शुक्रवार को पुस्तक ‘हेल्थ एंड वेलबीइंग इन लेट लाइफ’ पर परिचर्चा के दौरान कही। उन्होंने पुस्तक के लेखक डॉक्टर प्रसून चटर्जी को बधाई देते हुए कहा कि यह किताब बुजुर्गों के लिए बहुत उपयोगी है। यह बढ़ती उम्र के लोगों को हार ना मानने के लिए प्रेरित करती है और उनका आत्मविश्वास बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि इस किताब को पढ़ते हुए मैं जिस तरह इससे जुड़ा तो लगा कि यह मुझे ही केंद्रित करके लिखी गई है। लेखक की हौसलाफजाई करते हुए कोहली ने कहा कि इस प्रकार की किताब को एक संवेदनशील व्यक्ति ही लिख सकता है और इसमें डॉ. प्रसून पूरी तरह कामयाब रहे हैं। पुस्तक के अन्य भाषाओं में भी प्रकाशन का सुझाव देते हुए ओपी कोहली ने कहा कि हमारे देश में बहुत कम लोगों को अंग्रेजी भाषा समझ आती है। ऐसे में किताब की भाषा को और सरल करके उसे प्रादेशिक भाषाओं में भी प्रकाशित किया जाना चाहिए है।



पुस्तक परिचर्चा में आईजीएनसीए के अध्यक्ष एवं पद्मश्री राम बहादुर राय ने कहा कि 15-16 वर्ष पहले मेरे एक मित्र कैंसर से ग्रसित थे। उन्हें इस शहर के सबसे पुराने अस्पताल में लाया गया। दोनों पति-पत्नी नास्तिक थे लेकिन पति के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए उनकी पत्नी ने मुझसे कहा कि आप काशी विश्वनाथ में महामृत्युंजय का जप करवाइए ताकि उन्हें स्वास्थ्य लाभ हो सके। राय ने कहा कि मृत्यु का भय बुढ़ापे का सबसे बड़ा संकट है। लिहाजा यह किताब मौत से लड़ने का साहस और प्रेरणा देती है। दूसरे शब्दों में कहूं तो यह पुस्तक महामृत्युंजय का जप है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक को उपन्यास की तरह नहीं पढ़ सकते। इसे आपको दिन-प्रतिदिन एक-दो पन्ना पढ़कर आत्मसात करना होगा।



पुस्तक के लेखक डॉ. प्रसून चटर्जी ने कहा कि मैं कोई लेखक नहीं हूं लेकिन मेरी इच्छा थी कि एजिंग के विषय पर मैं एक किताब लिखूं। मेरी इस पहली किताब में डिप्रेशन, सफलता-असफलता और रोमांस सब कुछ है। मेरे लेखन में सिर्फ शब्द नहीं है बल्कि इसमें मरीजों से संवाद और उनके दर्द को समझते हुए भावों को शब्दरूप में पिरोया गया है।



एम्स में जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग के सदस्य डॉ. विजय गुर्जर ने कहा कि इस पुस्तक को पढ़ने के बाद अपने मरीजों को देखने और समझने का मेरा नजरिया और वृहद हुआ है। अब मैं सिर्फ उनके रोग को ही नहीं बल्कि उनके भावों को भी समझता हूं। महाराजा अग्रसेन कॉलेज के प्रोफेसर मंजरी चतुर्वेदी ने कहा कि यह पुस्तक जब मेरे पास संपादन के लिए आई तो मैं समझ नहीं सकी कि मैं क्या करूं क्योंकि यह मेरे क्षेत्र से अलग का विषय थी। हालांकि जब मैंने इसे पढ़ना शुरू किया तो मुझे इससे काफी जानकारियां मिली। इस किताब की सारी कहानियां हर उम्र के लोगों के लिए प्रेरणादायक हैं।



हेल्दी एजिंग इंडिया के अभिजीत गागुंली ने पुस्तक की प्रशंसा करते हुए कहा कि किताब को जिस तरीके से लिखा गया है, वह बहुत रोमांचित करने वाला है। इसे पढ़ने से जागरुकता बढ़ने के साथ सोच में सकारात्मकता भी आएगी।



परिचर्चा का संचालन डीन एंड हेड, कलानिधि, आईजीएनसीए के प्रोफेसर डॉ. रमेश सी. गौर ने किया। कार्यक्रम में आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल ओपी कोहली, जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग (एम्स) के डॉक्टर एवं किताब के लेखक प्रसून चटर्जी जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग (एम्स) के सदस्य डॉ. विजय गुर्जर, महाराजा अग्रसेन कॉलेज के प्रोफेसर मंजरी चतुर्वेदी, हेल्दी एजिंग इंडिया के अभिजीत गागुंली को गमछा पहनाकर और मोमेंटो देकर सम्मानित किया।



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