11 नवम्बर 2016 से हिन्दी के रचनाकारों को मंच उपलब्ध करवाने, उनकी कृतियों को इंटरनेट पर उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से संचालित मातृभाषा.कॉम जब हिन्दी प्रचार के प्रति जिम्मेदारी का निर्वहन करने लगा तब एक संस्था के पंजीयन की आवश्यकता हुई जिसे 2017 में 'मातृभाषा उन्नयन संस्थान' के नाम से पंजीकृत करवाया गया। जिसके बतौर अध्यक्ष डॉ.अर्पण जैन 'अविचल' ने दायित्व संभाला। संस्थान के संरक्षक मंडल में डॉ. वेदप्रताप वैदिक, राजकुमार कुंभज, अहद प्रकाश हैं।
हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनवाना, भारत में हिन्दी प्रचार-प्रसार करना, इसे रोजगारमूलक संपर्क भाषा के तौर पर स्थापित करना, हिन्दी पुस्तकालय खोलना, उनका प्रचार करके लोगों को पुस्तक मित्र बनाना आदि वृहद उद्देश्यों की स्थापना के लिए संस्थान देशभर में कार्य कर रही हैं।
संस्थान की 20 से अधिक राज्यों में इकाईयां है जो हिन्दी प्रचार का कार्य कर रही है। भारतभर में हस्ताक्षर बदलो अभियान चलाया जा रहा है जिससे अब तक 11 लाख लोग जुड़ चुके हैं । संस्थान का उद्देश्य जनता को हिन्दी से जोड़ना और साहित्य व साहित्यकारों के माध्यम से क्रांति सूत्र का शंखनाद करना हैं।
प्रतीक चिन्ह क्या है?
मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा संचालित आंदोलन के दो भाग है, पहला भाग 'जन' यानी 'जनता' है और दूसरा भाग 'साहित्य' है। इसीलिए संस्थान के प्रतीक चिन्ह में जनता के साथ साहित्य के प्रतिनिधि के रूप में किताब का समावेश हैं। रंग भी नारंगी और काला लेने के पीछे यही विचार है कि काल रंग तम का और नारंगी रंग अग्नि या प्रकाश का प्रतीक है। जनमानस में अभी कुछ लोग हिन्दी के प्रति प्रेम रखते है और कुछ नहीं रखते है। इसीलिए जनता के प्रतीक में कुछ काले और कुछ नारंगी है। तो यहाँ साहित्य के माध्यम से हिन्दी प्रति व्याप्त तम को समाप्त कर प्रकाशवान बनाने का उद्देश्य प्रदर्शित हो रहा है।
कलम यहाँ अग्नि शिखा स्वरूप प्रकाश की मशाल की भी परिचायक है और साथ में सामंजस्य स्थापित करने वाले कड़ी भी है। इस प्रतीक चिन्ह में आंदोलन का मूल ध्येय 'हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के उद्देश्य' का भी दर्शन निहित हैं। एक सूत्र से साहित्य को जोड़कर क्रांतिधर्मा बनाकर जनमानस को जागरूक करने का भाव प्रदर्शित होता हैं।
प्रचार वाक्य की उपयोगिता
मातृभाषा उन्नयन संस्थान का प्रचार वाक्य 'हिन्दी का समेकित स्वर' इस बात की ओर इशारा करता है कि संस्थान के माध्यम से सम्पूर्ण राष्ट्र में हिन्दी के सभी अंगों को एकीकृत किया जा रहा है, संस्थान की विभिन्न इकाइयों के माध्यम से सभी आवश्यक कार्यों की केंद्रीय कड़ी मातृभाषा उन्नयन संस्थान है । राष्ट्र भी बिखरे हुए कई हिन्दी हितेषी स्वरों को एकीकृत किया जा रहा है, जिससे मजबूत हिन्दी ही होगी।
इस ध्येय की स्थापना के लिए संस्थान का प्रचार वाक्य या कहें ध्येय वाक्य है 'हिन्दी का समेकित स्वर'।
आंदोलन की वर्तमान स्थिति
🖊 संस्थान की प्रेरणा से 11 लाख से अधिक लोगों ने अपने हस्ताक्षर हिंदी में करना आरंभ कर दिए।
🖊 11 लाख से अधिक लोगों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का समर्थन प्रदान किया है।
🖊 लगभग 2000 से अधिक रचनाकार मातृभाषा. कॉम के लेखक है।
🖊 9 लाख से अधिक पाठकों का स्नेह प्राप्त होता है।
🖊 10000 से अधिक साहित्यकारों का जुड़ाव साहित्यकार कोश से है।
🖊 20000 से अधिक पत्रकार / संपादक/ अखबार मालिक संस्थान से जुड़े है।
🖊 7000 से अधिक खबरों में संस्थान को स्थान प्राप्त है।
🖊 सैकड़ों राजनेताओं, हजारों जनप्रतिनिधियों के संस्थान को समर्थन
इसी के साथ हिंदी के योद्धा के रूप में यह संस्थान लगातार सक्रिय है।
हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनवाना, भारत में हिन्दी प्रचार-प्रसार करना, इसे रोजगारमूलक संपर्क भाषा के तौर पर स्थापित करना, हिन्दी पुस्तकालय खोलना, उनका प्रचार करके लोगों को पुस्तक मित्र बनाना आदि वृहद उद्देश्यों की स्थापना के लिए संस्थान देशभर में कार्य कर रही हैं।
संस्थान की 20 से अधिक राज्यों में इकाईयां है जो हिन्दी प्रचार का कार्य कर रही है। भारतभर में हस्ताक्षर बदलो अभियान चलाया जा रहा है जिससे अब तक 11 लाख लोग जुड़ चुके हैं । संस्थान का उद्देश्य जनता को हिन्दी से जोड़ना और साहित्य व साहित्यकारों के माध्यम से क्रांति सूत्र का शंखनाद करना हैं।
प्रतीक चिन्ह क्या है?
मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा संचालित आंदोलन के दो भाग है, पहला भाग 'जन' यानी 'जनता' है और दूसरा भाग 'साहित्य' है। इसीलिए संस्थान के प्रतीक चिन्ह में जनता के साथ साहित्य के प्रतिनिधि के रूप में किताब का समावेश हैं। रंग भी नारंगी और काला लेने के पीछे यही विचार है कि काल रंग तम का और नारंगी रंग अग्नि या प्रकाश का प्रतीक है। जनमानस में अभी कुछ लोग हिन्दी के प्रति प्रेम रखते है और कुछ नहीं रखते है। इसीलिए जनता के प्रतीक में कुछ काले और कुछ नारंगी है। तो यहाँ साहित्य के माध्यम से हिन्दी प्रति व्याप्त तम को समाप्त कर प्रकाशवान बनाने का उद्देश्य प्रदर्शित हो रहा है।
कलम यहाँ अग्नि शिखा स्वरूप प्रकाश की मशाल की भी परिचायक है और साथ में सामंजस्य स्थापित करने वाले कड़ी भी है। इस प्रतीक चिन्ह में आंदोलन का मूल ध्येय 'हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के उद्देश्य' का भी दर्शन निहित हैं। एक सूत्र से साहित्य को जोड़कर क्रांतिधर्मा बनाकर जनमानस को जागरूक करने का भाव प्रदर्शित होता हैं।
प्रचार वाक्य की उपयोगिता
मातृभाषा उन्नयन संस्थान का प्रचार वाक्य 'हिन्दी का समेकित स्वर' इस बात की ओर इशारा करता है कि संस्थान के माध्यम से सम्पूर्ण राष्ट्र में हिन्दी के सभी अंगों को एकीकृत किया जा रहा है, संस्थान की विभिन्न इकाइयों के माध्यम से सभी आवश्यक कार्यों की केंद्रीय कड़ी मातृभाषा उन्नयन संस्थान है । राष्ट्र भी बिखरे हुए कई हिन्दी हितेषी स्वरों को एकीकृत किया जा रहा है, जिससे मजबूत हिन्दी ही होगी।
इस ध्येय की स्थापना के लिए संस्थान का प्रचार वाक्य या कहें ध्येय वाक्य है 'हिन्दी का समेकित स्वर'।
आंदोलन की वर्तमान स्थिति
🖊 संस्थान की प्रेरणा से 11 लाख से अधिक लोगों ने अपने हस्ताक्षर हिंदी में करना आरंभ कर दिए।
🖊 11 लाख से अधिक लोगों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का समर्थन प्रदान किया है।
🖊 लगभग 2000 से अधिक रचनाकार मातृभाषा. कॉम के लेखक है।
🖊 9 लाख से अधिक पाठकों का स्नेह प्राप्त होता है।
🖊 10000 से अधिक साहित्यकारों का जुड़ाव साहित्यकार कोश से है।
🖊 20000 से अधिक पत्रकार / संपादक/ अखबार मालिक संस्थान से जुड़े है।
🖊 7000 से अधिक खबरों में संस्थान को स्थान प्राप्त है।
🖊 सैकड़ों राजनेताओं, हजारों जनप्रतिनिधियों के संस्थान को समर्थन
इसी के साथ हिंदी के योद्धा के रूप में यह संस्थान लगातार सक्रिय है।
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