जरूर पढ़ें-महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाना असंवैधानिक

जब बार बार सुप्रीम कोर्ट विधानसभा में बगैर फ्लोर टेस्ट के या विधानसभा में बहुमत परीक्षण का मौका दिये बगैर राष्ट्रपति शासन को अवैध करार कर देती है फिर केंद्र सरकार केस हारने के लिए राष्ट्रपति शासन क्यों लगा देती है।महाराष्ट्र में संविधान का अनुच्छेद 356 का दुरूपयोग कर राष्ट्रपति शासन इतना जल्दी इस अवस्था में लगाना गलत है।अभी राजनीतिक दलों या गठबंधन को राज्यपाल के समक्ष बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए था।कुछ ऐसा ही वर्ष 2005 की पहली बिहार विधानसभा चुनाव के बाद हुआ था जब चुनाव रिजल्ट के कुछ दिन बाद बिहार के तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह द्वारा राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गयी थी जिसपर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम ने मंजूरी दे दी थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अवैध ठहरा दिया था।

अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में केंद्र की इसी भाजपा सरकार ने वर्ष 2016 में हॉर्स ट्रेडिंग के आधार पर राष्ट्रपति शासन लगा दिया था परंतु विधानसभा में बहुमत साबित करने का मौका नहीं दिया था,इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों में राष्ट्रपति शासन को खारिज कर काँग्रेस पार्टी शासित राज्य सरकार को बहाल कर दिया था।

वर्ष 1994 में SR Bommai vs Union Of India के वाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निदेश अब एक Constitutional Law है,इसलिए विधानसभा में बहुमत परीक्षण का मौका दिये बगैर राष्ट्रपति शासन नहीं लग सकती,ये बात अब राज्यपाल,केंद्र सरकार और राष्ट्रपति को समझ लेना चाहिए।

राहुल कुमार के एफबी वाल से

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