अयोध्या विवाद पर जरूर देखें यह कानूनी समीक्षा

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का बिल्कुल ही संतुलित निर्णय

हम 1045 पेज के सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को Randomly देखे।

ये सत्य है कि पूरे 1045 पेज में कोई Conclusive Evidence नहीं है जो Beyond all reasonable doubts(युक्तियुक्त संदेह से परे) ये Conclude कर सके कि विवादित जमीन पर पहले से ही श्रीराम की मंदिर थी,परंतु जो भी Evidence इस निर्णय में उल्लेखित है वो Near to Conclusion है या Preponderance of Probability(संभावना की प्रबलता) इसी बात का है कि उस जमीन पर श्रीराम की ही मंदिर पहले से थी।

इस संबंध में हमें Criminal Case और Civil Case में Appreciation of Evidence में फर्क को समझना चाहिए।

Criminal Case में Beyond all reasonable doubts किसी तथ्य को साबित करना पड़ता है,परंतु Civil Case में Preponderance of Probability के आधार पर ही तथ्य साबित हो जाता है और यहां Preponderance of Probability श्रीराम के पक्ष में है।

इस बात को सभी लोग,चाहे हिन्दू हो या मुस्लिम,सहज स्वीकार करे कि मस्जिद के लिए अयोध्या में ही सुन्नी वफ्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने का सुप्रीम कोर्ट का निर्णय on legal ground ही है।क्योंकि Complete Justice प्रदान करने के लिए भारतीय संविधान का अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को ऐसा शक्ति है और केंद्र सरकार द्वारा पारित कानून The Acquisition of Certain Area at Ayodhya Act, 1993 में ऐसा प्रावधान पहले से ही है जिसका केवल प्रयोग भर सुप्रीम कोर्ट ने किया है।

 

राहुल कुमार के Fb वाल से

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