आज मेरा जन्मदिन है कालिया !

गब्बर सिंह, जी हां शोले के गब्बर सिंह को कौन भूल सकता है? आज गब्बर सिंह यानी के अमज़द खान का जन्मदिन है। अमज़द खान से कहीं ज्यादा लोग आज भी उन्हें गब्बर सिंह के नाम से जानते हैं। शोले में " कितने आदमी थे ? यह डॉयलाग शोले से लेकर अबतक पुराना नहीं हुआ है । खैर आज गब्बर सिंह (अमज़द खान ) का जन्मदिन है और आज हम जनकी बायोग्राफी के बारे में बात करेंगे।

अमजद खान का जन्म 1943 में लाहौर में हुआ था। वह भारतीय फिल्म के अभिनेता जयंत के पुत्र थे। शत्रुघ्न सिन्हा की वजह से उन्हें अभिनेता के रोओ में पहकी फ़िल्म शोले मिली थी। वो इसलिए क्योंकि पहले गब्बर का किरदार शत्रुघ्न सिन्हा को दिया जा रहा था लेकिन समय के कमी के कारण उन्हीने मना कर दिया और फिर गब्बर सिंह बन गए अमज़द खान।

अभिनेता से पहले अमज़द के0 आसिफ के साथ सहायक निर्देशन करते थे। हालांकि शोले उनकी पहली फ़िल्म नहीं थी। इससे पहले वे ' लव एंड गॉड' एयर 'हिंदुस्तान की कसम' में नजर आ चुके थे लेकिन किरदार काफी छोटे होने की वजह से न तो उन्हें याद रह न ही दर्शकों को कि धनहीन पहले भी कैमरे का सामना किया है।

पर्दे पर खलनायक का अभिनय करने वाले अमज़द खान को लतीफे सुनने का बड़ा शौक था और वो फोन करके कई बार लतीफे सुनाया करते थे। अमिताभ बच्चन ने एक इंटरव्यू में बताया कि अमजद काफी दरियादिल इंसान थे और कई बार फ़िल्म निर्माता के पास पैसे न होने पर उन्होंने अपना पैसा नहीं लिया।

शोले के अलावा अमजद खान (Amjad Khan) ने “कुर्बानी” “लव स्टोरी” “चरस” “हम किसी से कम नही ” “इनकार” “परवरिश” “शतरंज के खिलाड़ी” “देस-परदेस” “दादा” “गंगा की सौगंध ” “कसमे-वादे” “मुक्कदर का सिकन्दर” “लावारिस” “हमारे तुम्हारे ” “मिस्टर नटवरलाल” “सुहाग ” “कालिया” “लेडीस टेलर” “नसीब” “रॉकी” “यातना” “सम्राट” “बगावत” “सत्ते पे सत्ता” “जोश” “हिम्मतवाला” आदि सैकंडो फिल्मो में यादगार भूमिकाये की |

एक कार दुर्घटना में अमजद बुरी तरह घायल हो गए। 'द ग्रेट गैम्बलर' फ़िल्म की शूटिंग के सिलसिले में लोकेशन पर जा रहे थे। ऐसे समय में अमिताभ बच्चन ने उनकी बहुत मदद की। अमजद ख़ान तेजी से ठीक होने लगे। लेकिन डॉक्टरों की बताई दवा के सेवन से उनका वजन और मोटापा इतनी तेजी से बढ़ा कि वे चलने-फिरने और अभिनय करने में कठिनाई महसूस करने लगे। वैसे अमजद मोटापे की वजह खुद को मानते थे। उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया था कि- "फ़िल्म ‘शोले’ की रिलीज के पहले उन्होंने अल्लाह से कहा था कि यदि फ़िल्म सु‍परहिट होती है तो वे फ़िल्मों में काम करना छोड़ देंगे।"

फ़िल्म सुपरहिट हुई, लेकिन अमजद ने अपना वादा नहीं निभाते हुए काम करना जारी रखा। ऊपर वाले ने मोटापे के रूप में उन्हें सजा दे दी। इसके अलावा वे चाय के भी शौकीन थे। एक घंटे में दस कप तक वे पी जाते थे। इससे भी वे बीमारियों का शिकार बने। मोटापे के कारण उनके हाथ से कई फ़िल्में फिसलती गई। 27 जुलाई, 1992 को उन्हें दिल का दौरा पड़ा और दहाड़ता गब्बर हमेशा के लिए सो गया। अमजद ने हिन्दी सिनेमा के खलनायक की इमेज के लिए इतनी लंबी लकीर खींच दी थी कि आज तक उससे बड़ी लकीर कोई नहीं बना पाया है।

डिम्पल कपाड़िया और राखी अभिनीत फ़िल्म 'रुदाली' अमजद ख़ान की आखिरी फ़िल्म थी। यह वही रुदाली फ़िल्म है जिसका गाना लता मंगेशकर की आवाज में 'दिल हूम हूम करे' आज भी हिट है।

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