कर्मवीर सत्यदेव सिंह के 91वी जयंती पर हुआ कवि सम्मेलन का आयोजन

 



ग़ाज़ीपुर: गाजीपुर जनपद के बोरसिया गाधिपुरम स्थित सत्यदेव ग्रूप्स आफ कालेजेज के नव निर्मित सत्यदेव फार्मेसी कालेज के सभागार में कर्मवीर सत्यदेव सिंह की पावन स्मृति में 91 वीं जयन्ती समारोह एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो0 सत्यमित्र दूबे पूर्व कुलपति डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य गोपाल जी शास्त्री (योगी आनन्द)संस्थापक गीता गुरूकुल फाउंडेशन मिशिगन अमेरिका के द्वारा की गयी। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं मां सरस्वती के तथा कर्मवीर सत्यदेव सिंह के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि से किया गया।कार्यक्रम का बहुत ही खूबसूरत ढंग से संचालन गाजीपुर के चर्चित व्यक्तित्व हरिनरायण हरीश के द्वारा किया गया। सत्यदेव ग्रूप्स आफ कालेजेज के प्रबन्ध निदेशक डा0 सानन्द सिंह के द्वारा सभी कवि एवं मुख्य अतिथि विशिष्ट अतिथि का अंगवस्त्रम एवम स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया।
अपने संबोधन में डा0 सानन्द सिंह ने सभी का स्वागत करते हुवे कहा कि यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह हमारे लिए गौरव का कारण भी है।यह कॉलेज उस शृंखला को आगे बढ़ा रहा है जिसे कर्मवीर सत्यदेव सिंह जी ने आज से २० साल पहले शुरु किया था ।
आप सभी जानते हैं कर्मवीर सत्यदेव सिंह जी गाँव की प्रारंभिक शिक्षा से लेकर तत्कालीन पूरब के आक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्चशिक्षा प्राप्त अत्यंत तेजस्वी चिंतक थे। उन्होंने ग्रामीण अंचल में माध्यमिक शिक्षा और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा को फैलाने के लिए छात्रावस्था में ही श्री गांधी कॉलेज ढोटारी की शुरुआत कर दी थी जो बाद में इंटर कॉलेज के रूप में मशहूर हुआ। वहाँ पर तैंतीस साल तक एक कुशल प्रिंसिपल के रूप में जिले में उनकी विशिष्ट पहचान रही जिसके समक्ष हर व्यक्ति को झुकना पड़ा। उनमें गहरी सामाजिक राजनीतिक समझदारी थी । वो जानते थे कि शिक्षा किसके लिए और किन्हें दी जानी है । इसी विवेक का प्रयोग करते हुए उन्होंने अपने जीवन के आदर्श पुरुष डॉ राम मनोहर लोहिया को खोजा था । आज हम सभी देख रहे हैं कि समाज में ग़रीब और वंचित जातियों को आगे की पंक्ति में लाने के लिए समाजवादी पार्टी डॉ राममनोहर लोहिया के सिद्धांतों को अपनाती है। लेकिन डॉ लोहिया के महत्व को अपनी छात्रावस्था में ही समझ लेना और उसके लिए अपना जीवन अर्पित करना कर्मवीर सत्यदेव सिंह की दूरदर्शी दृष्टि थी। उन्होंने अपनी नौकरी से अवकाश लेकर और अपना सब कुछ दाँव पर लगाकर सागापाली के पास ही अध्यात्मपुरम की नींव रखी और डॉ राममनोहर लोहिया डिग्री कॉलेज की स्थापना की जो आज ग्रामीण अंचल में अपनी सेवाएँ दे रहा है।

,वह  महाविद्यालय कर्मवीर सत्यदेव सिंह का महानतम स्मारक है और बाद में खोले गए शेष सभी संस्थानों के लिए पूर्वजपुरुष की तरह आशीर्वाद की मुद्रा में तत्पर खड़ा है।
कर्मवीर सत्यदेव सिंह की दृष्टि में शिक्षा केवल ज्ञान के लिए नहीं है बल्कि वह रोज़गार पैदा करने का अवलम्ब है । कर्मवीर व्यावहारिक ज्ञान और उसकी ज़रूरत को समझकर शिक्षा का प्रकाश फैलाने के हिमायती थे। उनकी सोच में इसी लिए राजनीति का विवेक और अध्यात्म का दर्शन भी घुलामिला है। वह कहते थे कि केवल भौतिक सफलता ही मनुष्य का लक्ष्य नहीं है बल्कि उसमें अध्यात्म की चेतना भी होनी चाहिए । हमारे देश की जो श्रेष्ठतम परम्परा है उसका निर्वहन करना भी उतना ही ज़रूरी है। शिक्षा का काम है कि वह एक परिपक्व और पूर्ण मनुष्य के निर्माण में योग दान करे। यह पूर्णता ही जीवन का आदर्श है। उन्होंने कहा था कि हमारे जीवन का लक्ष्य यदि महात्मा गांधी हैं तो वहाँ तक पहुँचने का रास्ता जवाहरलाल नेहरू नहीं बल्कि राममनोहर लोहिया हैं। इसलिए गांधी जी ने जो सर्वोदय का सपना देखा तो उसकी पूर्ति लोहिया के चौखंभा राज से ही होगी । हमारी शिक्षा का आधार हमारी देशी परम्पराओं का विकास है जिससे होते हुए हम आगे बढ़ सकेंगे । डॉ लोहिया के चिंतन को आधार बनाकर उन्होंने अपना सपना देखा था। ये सभी संस्थाएँ जो आज सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेज ग़ाज़ीपुर के नाम से पहचान बना रही हैं इसमें उनकी आत्मिक ज्योति जल रही है। हमारा काम है कि हम उस लौ को जलाए रखें। कोई भी तेजस्वी लौ बाज़ार के तेल से नहीं बल्कि वह अपनी जीवंत साधना के प्रकाश से जलती है । उसमें कर्मवीरों की अनथक संघर्ष साधना छिपी हुई है । आप सबका भरपूर स्नेह और सहयोग मिलता रहे इसकी कामना करता हूँ। आने वाले समय में यदि इसी प्रकार ईश्वरकृपा बनी रही तो हम इस संस्था को एक विश्वविद्यालय के रूप में भी विकसित कर सकेंगे। हम सभी साथ हैं क्योंकि हम सभी इस महान यज्ञ की समिधाएँ हैं।हमें दृढ़ रहना है और प्रतिस्पर्धा के इस युग में सावधान भी रहना है।बड़ी संस्थाएँ बड़े सोच से बनती हैं केवल बडे संसाधनों से नहीं।पहले भी कहा गया है कि क्रियासिद्धि: सत्त्वे वसति महतां नोपकरणे अर्थात् कार्य की सफलता पुरुषार्थ में रहती है बड़े साधनों में नहीं। स्वयं कर्मवीर सत्यदेव सिंह मे अपने जीवन में इस उक्ति को चरितार्थ करके दिखा दिया । आप सभी इसे समझें और महसूस करें कि हमारी सुगंध धीरे धीरे फैल रही है। एक दिन वह समूचे आसमान को घेर लेगी । वही हमारे व्यक्तित्व की पहचान होगी और कर्मवीर सत्यदेव सिंह के सपनों का वास्तविक रूप भी।इस कार्यक्रम में आये हुवे सभी कवि गण ने एक से बढकर एक रचनाओं की प्रस्तुती की। कार्यक्रम में उमाशंकर उपाध्याय.अमिताभ अनिल दूबे पूर्व विधायक.कालेज की ट्रस्टी सावित्री सिंह. डा प्रिती सिंह.सुमन सिंह निदेशक. दिग्विजय उपाध्याय. इंजीनियर अजीत यादव प्रधानाचार्य. प्रशान्त सिंह.शैलजा सिंह.दीपक सिंह.प्रतिमा सिंह.बिजय बहादुर सिंह प्रमुख मरदह.चंचल सिंह.नागेश दूबे.बासुदेव पाण्डेय. मुरली सिंह.सुरेंद्र यादव.राम सागर यादव. कृपा शंकर सिंह.श्री प्रकाश राय.विश्राम यादव.रामानुज सिंह प्रधानाचार्य. काशीनाथ सिंह .डा तेज प्रताप सिंह समेत सैकडों की संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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