नागपुर दूसरा ओडीआई, अंत भला तो सब भला - वीर विनोद छाबड़ा



हर दिन एक जैसा नहीं होता। लेकिन ये मिसाल नागपुर के दूसरे ओडीआई में फ़िलहाल झुठला दी गयी है। आख़िरी का रोमांच खासतौर पर मज़ेदार रहा। ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 11 रन की दरकार। कमजोर दिल वालों ने दिल थाम लिए, कईयों ने चैनल बदल दिए जब कप्तान कोहली ने ओवर थमा दिया विजय शंकर के हाथ जबकि सब उम्मीद कर रहे थे केदार जाधव की। कई भवें तन गयीं। ग़लती पर हैं कोहली। इस इनिंग में एक ही ओवर डाला था शंकर ने जिसमें 13 रन पिटवा दिए थे। भद्द पिटवा दी। लेकिन मैदान पर कप्तान ही सुप्रीम जज होता है। उसमें कैलकुलेटेड जुआ खेलने की हिम्मत भी होनी चाहिए। हार-जीत तो लगी ही रहती है। सबसे बड़ा ख़तरा था स्टॉइनिस (52) से। जाधव को वो आज़मा चुके थे। शंकर की गेंद इनिंग में नहीं खेली थी, इंनिग में नया बॉलर। एडजस्ट करना मुश्किल होता है, किसी के लिए भी। और वही हुआ। एलबीडब्ल्यू। डीआरएस लिया, बेकार गया। अब पांच गेंद, 11 रन और एक विकेट। ऑस्ट्रेलिया गहरे संकट में। दूसरी गेंद पर दो रन बने। लेकिन तीसरी गेंद पर ज़म्पा क्लीन बोल्ड। और ऑस्ट्रेलिया 242 आल आउट। टीम इंडिया 8 से जीत गयी। जश्न का माहौल। लगातार दूसरी बार फिर ऑस्ट्रेलिया के जबड़े से छीनी गयी जीत।
जीत का हीरो कौन रहा? मुश्किल है तय करना। सबने कहीं न कहीं योगदान दिया। किसी के हिस्से में कम तो किसी के ज़्यादा। लेकिन फील्डिंग सबने गज़ब की की। चाहे कीपिंग रही हो या कैचिंग या थ्रो। जडेजा के सटीक थ्रो ने सेट बैट्समैन हैंड्सकॉम्ब (48) को चलता कर दिया। उन्होंने एक विकेट भी लिया। कुलदीप यादव 3 विकेट और जसप्रीत बुमराह और विजय शंकर ने दो-दो विकेट। एक विकेट केदार जाधव के हिस्से में भी आया। शमी आज नहीं चले। धोनी-केदार की जोड़ी बैटिंग फ्रंट पर फेल रही। धोनी सिफर और केदार 11 रन। लेकिन गुरू-शिष्य की जुगलबंदी ऑस्ट्रेलिया की बैटिंग के दौरान कमाल की रही। धोनी गाइड कर रहे थे, ऐसे नहीं ऐसे, इधर नहीं उधर बाल डालो। और नतीजा अच्छा ही रहा।एक बार तो मैच ऑस्ट्रेलिया के कब्जे में था जब ऑस्ट्रेलिया के 4 विकेट अभी भी शेष थे और रन रेट भी लगभग प्रति बाल 1 रन था। लेकिन तभी भारत के बुमराह ने एक बढ़िया स्पेल डाला और 2 विकेट ले डाले एक ही ओवर में उसके बाद एक अगला ओवर मेडन होते होते रहा सिर्फ 1 रन अंतिम ओवर में बने। मजे की बात यह रही कि बुमराह ने इससे पहले अपने पिछले स्पेलों में एक भी विकेट नहीं लिया था। इस जीत की अहमियत इसलिए भी बढ़ गयी कि ये टीम इंडिया की ओडीआई में 500वीं जीत है।
इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के लिए पहले विकेट के लिए ख्वाजा (38) और फिंच (37 ) की 83 रन की पार्टनरशिप ने शानदार शुरुआत दी। लेकिन बाद में कुछ विकेट जल्दी-जल्दी गिरे। स्टॉयनिस और एलेक्स कैरी ने छटे विकेट के लिए 47 जोड़ कर टीम इंडिया की धड़कनें बढ़ा दीं। 218 पर 5 विकेट। लेकिन डेथ ओवर्स में गेंदबाज़ों ने कमाल कर दिया। दिल-गुर्दे कंट्रोल में रखे। इसीलिए कहते हैं क्रिकेट माइंड गेम है।
आज भारत की पारी (250) अच्छी नहीं रहती अगर कोहली (116 रन 120 बॉल्स) और शंकर (46 रन 41 बॉल्स) के बीच चौथे विकेट के लिए 71 बॉल्स में 81 रन की पार्टनरशिप न हुई होती। इसमें सबसे बड़ा कंट्रीब्यूशन रहा शंकर का। कोहली पर से बैटिंग प्रेशर भी रिलीज़ किया। बाकी ने जो बनाया, ज़िक्र करने लायक नहीं। तारीफ़ करनी होगी पैट कमिंस की बॉलिंग की जिन्होंने 29 रन पर चार धुरंधर चलते किये।
कोहली का 40वां शतक। अब सचिन से सिर्फ़ 9 शतक दूर। 33 बार उनकी सेंचुरी ने मैच जिताया। सचिन के एक और रिकॉर्ड की बराबरी। मैन ऑफ़ दि मैच कोहली बने। लेकिन मैं होता तो ज़रूर शंकर को देता। एक नया मैच विनर।
- वीर विनोद छाबड़ा

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