तो शायद सुनील गावस्कर मछली के व्यापारी होते

 

 



क्रिकेट: नियति के खेल निराले हैं। आप लाख कुछ भी चाहते रहें लेकिन होता वही है जो नियति में लिखा होता है। अब दुनिया के पहले दस हज़ारी बल्लेबाज़ सुनील मनोहर गावस्कर उर्फ़ सन्नी से जुड़ी इस कथा को सुनें।
सन्नी अस्पताल में पैदा हुए थे। उन्हें उनके काका नारायण मसरूकर देखने आए। उनकी पैनी निगाहों ने ग़ौर किया कि सन्नी के बाएं कान के ऊपरी हिस्से पर एक छोटा सा काला तिल है। अगले दिन काका फिर आये। लेकिन उन्हें हैरानी हुई, ये देख कर कि बच्चे के कान पर से काला तिल ग़ायब है। ये कैसे हो सकता है? उन्होंने पड़ताल की तो पता चला कि दो बिस्तर छोड़ कर एक मछुआरिन लेटी है, उसने भी एक दिन पहले बच्चा जना था और जो उसके पालने में मज़े से सो रहा है, उसके बाएं कान पर काला तिल है। काका ने फ़ौरन अस्पताल के प्रशासन से शिक़ायत की। जांच से पता चला कि काका सही थे।
दरअसल, हुआ ये था कि अस्पताल की नर्सें बच्चों को एक साथ नहलाती थीं और उसी दौरान बच्चा बदल गया। सोचिये ज़रा, अगर काका ने पहले दिन बच्चे के कान पर काला तिल नोटिस न किया होता तो शायद सन्नी रनों का अंबार लगाने की बजाये मछली का व्यापार करते होते। इस घटना का ज़िक्र सुनील गावस्कर ने अपनी बायोग्राफी 'सन्नी डेज़' में भी किया है।
वीर विनोद छाबड़ा (जाने माने लेखक एवं फ़िल्म समीक्षाकर)

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