मेलबर्न वनडे में धोनी फिर चमके, बने मैन ऑफ द सीरीज



छोटे कद के केदार जाधव ने 50 वें ओवर की दूसरी गेंद चौका मार कर टीम इंडिया को न सिर्फ 7 विकेट से मैच जिताया बल्कि वनडे सीरीज़ भी 2-1 से जिता दी। और इसके साथ ही टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज़ के साथ-साथ वनडे सीरीज़ जीतने का नया इतिहास रच दिया। दो राय नहीं कि ऑस्ट्रेलिया को 230 पर रोकना बड़ी उपलब्धि थी। ऑस्ट्रेलिया के लिए शर्मिंदगी की बात ये भी रही कि पूरे पचास ओवर भी नहीं खेल पायी। इसका श्रेय जाता है सीरीज़ का पहला मैच खेल रहे यजुवेंद्र चहल (44 रन पर 6 विकेट). उनकी स्पिन देख कर ऑस्ट्रेलियन चकित हो गए। लगा टीम इंडिया आसानी से जीत हासिल कर लेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। विकेट बहुत धीमा खेल रही थी। अपेक्षित उछाल नहीं मिल रहा था।
ग्रेट फॉर्म में चल रहे रोहित शर्मा (9) का विकेट जल्दी निकल जाने से दबाब बढ़ गया। शिखर धवन (23) भी ज्यादा देर तक नहीं टिके। और जब 30वें ओवर में कप्तान विराट कोहली (46) के 113 के स्कोर पर निकल जाने से पलड़ा ऑस्ट्रेलिया की ओर पूरी तरह से झुक गया। कूल कूल खेल रहे और महेंद्र सिंह धोनी का साथ देने के लिए केदार मैदान में उतरे। दर्शकों ने सवाल उठाया, ऐसी सिचुएशन के लिए फिट दिनेश कार्तिक को क्यों नहीं? इससे पहले धोनी को 4 नंबर पर भेजने पर भी सवाल उठ ही चुका था, जब पांच नंबर पर ठीक सेट हो गए हैं तो चार नंबर पर क्यों?
लेकिन क्रिकेट बहुत फन्नी गेम है। यहाँ वो होता है जिसकी कल्पना नहीं की होती है। आज का दिन आलोचना का शिकार हो रहे धोनी (114 गेंद पर 87 रन) और चोट से उबर कर लम्बे समय बाद लौटे केदार (57 गेंद पर 61 रन) का था, जिन्हें लोग जिनकी क़ाबलियत के बारे में लोग कम जानते हैं। वो हार्दिक पांड्या और रवींद्र जडेजा से कहीं बेहतर आल राउंडर हैं। उन्होंने लंबे हिट नहीं लगाए और इसकी ज़रूरत भी नहीं थी। एक-एक रन के लिए रोटेट करते हुए उन्होंने 19.2 ओवर में 121 रन बनाये, पूरे कॉन्फिडेंस के साथ।
हालाँकि कई लोगों का ख्याल है कि अगर केदार की जगह कार्तिक आये होते तो मैच 45वें ओवर में ही ख़त्म हो जाता। लेकिन जीत के बाद 'किन्तु-परन्तु' का खेल ख़त्म हो जाता है। फिर क़िस्मत भी खेल का ज़रूरी हिस्सा होती है। धोनी जब 34 पर थे तो विकेट के पीछे कैच हो गए। लेकिन मैक्सवेल को छोड़ कर किसी ने स्निक की आवाज़ ही नहीं सुनी। बड़ी हैरानी हुई ऐसा क्यों हुआ?
ऑस्ट्रेलिया छोटे स्कोर को डिफेंड कर रही थी, लेकिन फील्डरों ने बोलरों का साथ नहीं दिया, कई कैच ड्राप किए। अन्यथा भारतीयों के लिए बहुत मुश्किल हो जाती। लेकिन कहते हैं अंत भला तो सब भला। चहल को मैन ऑफ़ दि मैच और सीरीज़ में 193 रन बनाने वाले धोनी को मैन दी सीरीज़ चुना गया। शायद अब कुछ समय तक 37 साल की बढ़ती उम्र के धोनी की धीमे खेलने की रणनीति की आलोचना अगले कुछ समय तक नहीं होगी और धोनी का इस गर्मियों में इंग्लैंड में वर्ल्ड कप खेलना तय हो गया है। लेकिन फिर भी सवाल तो उठेंगे ही जो उस समय बहुत तीखे हो जाएंगे जब धोनी अपेक्षा से ज़रा से भी नीचे साबित हुए। बहरहाल, टीम इंडिया को इस शानदार जीत की ढेर बधाई।
वीर विनोद छाबड़ा (जाने माने लेखक एवं फ़िल्म समीक्षाकर)

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