गाजीपुर: सत्यदेव कालेज परिसर बोरसिया गाधिपुरम गाजीपुर के प्रांगण मे सत्यदेव डिग्री कालेज एवं डा. राम मनोहर लोहिया डिग्री कालेज अध्यात्मपुरम ढोटारी के संयुक्त तत्वाधान मे शुक्रवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी उच्च शिक्षा की चुनौतिया विषय पर आयोजित की गयी। इस कार्यक्रम मे सर्वप्रथम कर्मवीर सत्यदेव सिंह को पुष्पार्पित कर श्रद्धासुमन अर्पित किया गया इसके बाद मां सरस्वती की प्रतिमा पर आये हुए अतिथियों के द्वारा माल्यार्पण किया गया। द्वीप प्रज्वलन पूर्वाचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 राजाराम ने किया आये हुए समस्त अतिथियों का माल्यार्पण एवं स्वागत डा.आनन्द सिंह, डा. सानन्द सिंह एवं समस्त संस्थाओं के प्राचार्यगण के द्वारा अंगवस्त्रम, प्रतीक चिन्ह एवं गुलदस्ता प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सतीश चन्द्र बलिया के एसोसिएट प्रोफेसर एवं कालेज के निदेशक डा० सानन्द सिंह ने कहा कि गाजीपुर की धरती ऋषियों, मुनियों एवं सुफी संतो की पावन पवित्र भूमि रही है। उन्होने अपने पूज्य पिता के प्रथम पुण्यतिथि पर उनको नमन करते हुए उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि कर्मवीर सत्यदेव सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर जी के साथ रह कर शिक्षा के माध्यम से समाज सेवा की। उन्होने देश के विकास को बढाने के लिए शिक्षा की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होने बुद्ध, गांधी, मर्यादा पुरुषोत्तम राम के सपनो को साकार करने के लिए ज्ञान की इच्छा को जागृत कराने पर प्रकाश डाला। अपने नैतिकता और ज्ञान के लिए पिता को नमन करते हुए अनन्त गहराइयों से नमन किया। उन्होने उच्च शिक्षा की चुनौतियों के लिए एक नया वातावरण स्थापित करने के लिए सबका सहयोग मागा। इस अवसर पर सत्यदेव कालेज का नया सूभंकर चिन्ह का लोकार्पण माननीय पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह जी, कुलपति प्रो0 राजाराम यादव जी एवं सत्यदेव कालेज के निदेशक डा. आनन्द सिंह एवं डा. सानन्द सिंह जी के द्वारा किया गया।
इस अवसर पर डा. आनन्द कुमार सिंह ने कहा कि अँधियारी रात को एक छोटा द्वीप भी काम करता है। शिक्षा ज्ञान है एक विभूति है उन्होने ज्ञान का वर्णन करते हुए कहा कि ज्ञान बाहर से नही आता वह हमारे भीतर मौजूद है। शिक्षा एक माध्यम है जो जागृत करता है विद्या एक परम प्रकाश है। उन्होने इसकी महत्ता को बताते हुए कहा कि प्रकाश देने का काम सूर्य करता है। यदि सूर्य नही करता तो चन्द्रमा करता है और यह भी नही करता तो नक्षत्र प्रकाशित करते है, यदि यह भी नही करता तो गुरु की वाणी है जो संसार को प्रकाशित करेगी। वाणी ही हमारी सभ्यता संस्कृति की पहचान है जो विश्व मे हमारी पहचान कराती है। वाणी हमारी शक्ति, लेख एवं विद्या है। समस्त वैभव की जननी वाणी की साधना है। साधना एक जलता हुआ दीपक है जो लगातार लोगो के बीच अधियारे मे प्रकाश का काम करता है। उन्होने कहा कि उच्च शिक्षा का अर्थ उच्च मूल्यो की शिक्षा है उच्च मूल्य जीवन के उदेश्य को प्राप्त करने मे सहायता करते है। उन्होने कहा कि हमे नये चुनौतियो के लिए तैयार रहना चाहिए अच्छे शिक्षक तैयार करना एवं गुणवत्ता परक शिक्षा प्रदान करना महाविद्यालयों की नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होने कहा कि देवत्व हमारी जिन्दगी की वस्तु है। सारा अमृत हमारे भीतर ही मौजूद है। उच्च शिक्षा की सबसे बड़ी चुनौती प्राण प्रतिष्ठा करना है। इस अवसर पर डा. आनन्द कुमार सिंह, डा. सानन्द कुमार एवं डा. पी0एन0 सिंह के द्वारा लिखित पुस्तक लोक पुरुष सत्यदेव सिंह एवं विमर्श का वैभव पुस्तक का लोकार्पण केडिया जी के द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्वाचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 राजाराम यादव ने किया उन्होने सर्वप्रथम समस्त अतिथियों एवं आगंतुको को संबोधित करते हुए कहा कि हम विद्यार्थियो के लिए सबकुछ करते है रिस्ता स्थापित होने के बाद सारे समस्याओं का सामाधान हो जाता है। उन्होने कहा कि हमेशा योग्य पिता के योग्य पुत्र एवं योग्य गुरु के योग्य शिष्य होते है। उन्होने शिक्षा कि स्वायत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ए0आई0सी0टी0ई0, एन0सी0टी0ई0 एवं बार काउंसिल ऑफ इण्डिया को अनेक प्रकार के शैक्षिक कार्यक्रमों मे दखल न करने की सलाह दी। प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता को बढाने के लिए उन्होने ने एम0 डा0एम0 को तत्काल बन्द करने की सलाह दी। उन्होने नैक के महाविद्यालयों के मूल्यांकन को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा की नैक का मूल्याकन तो हमारे छात्र ही करते है। विद्यार्थियों का परफामेन्स ही हमारी पहचान है। इस कार्यक्रम मे प्रो0 हरिकेश सिंह कुलपति जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा, प्रो0 योगन्द्र सिंह, कुलपति जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया, प्रो0 रमेशचन्द्र पण्डा कुलपति महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय उज्जैन, प्रो0 लल्न सिंह पूर्व कुलपति हेमवति नन्दन बहुगुणा विश्वविद्यालय उत्तराखण्ड, प्रो0 कपिलदेव मिश्र कुलपति आदि ने राष्ट्रीय संगोष्ठी उच्च शिक्षा की चुनौतियां विषय पर अपना अपना ब्याख्यान प्रस्तुत किया तथा उच्च शिक्षा मे होने वाले बदलाव पर प्रकाश डाला।पूर्व मत्री ओमप्रकाश सिहं ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा की इस कार्यक्रम मे आये प्रोफेसर साहबानो तथा कुलपति महोदयो की एक एक बात को ध्यान पूर्वक सूना हूं।सभी ने अपनी बात इस संगोष्ठी मे बेबाकी से रखी।
उन बातो को यहा उपस्थित जन समूह ने जरूर कंठस्थ किया होगा।ये सरकारी मुलाजिम लोग है असली बात नही बोलते आज देश और प्रदेश मे महाविद्मालयो विश्वविद्यालयों की दुर्दशा हो गयी है उनमे पढाने के लिए प्रोफेशर नही है इस देश की शिक्षा ब्यवस्था राम भरोसे हो गयी है कैसे उच्च शिक्षा मे बदलाव होगा यह सोचने वाला विषय है।श्री सिंह यही नही रूके उन्होने बिना नाम लिए केन्द्र और प्रदेश सरकार की नितियो पर जमकर प्रहार भी किया और कहा की सरकार की नितिया अजब और गजब हो गयी है यह सरकार शिक्षा को ले डूबेगी।पूर्व मत्री नारद राय ने कहा की शिक्षा के मंदिर मे मे बीस बाई पच्चीस का कमरा खाली रह जा रहा है दस फुट के कमरे मे बच्चो को बैठने के लिए जगह नही मिल रही है यही अध्यापक प्राध्यापक प्रोफेसर अपने अपने स्कूलो मे पढाने से कतरा रहे है तथा कोचिंग पर इनका ध्यान ज्यादा लग रहा है।सरकारो से ये लोग अच्छी सेलरी भी लेते है इसके बावजूद भी उनका ध्यान कोचिंग क्लासो पर होता है इस ब्यवस्था मे पहले बदलाव की जरूरत है तभी उच्चशिक्षा मे सुधार हो सकता है कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर राजाराम यादव कुलपति ने किया तथा मंच संचालन हरिश जी ने किया।अंत मे कार्यक्रम के आयोजक डा०सानन्द सिंह ने कार्यक्रम मे आये हुए अतिथियो के प्रति आभार प्रकट किया।संध्या के वक्त सगीत भजन नाटक नृत्य कामेडी की प्रस्तुतिया सत्यदेव ग्रुप आफ कालेज के विद्मार्थियो द्धारा प्रस्तुत किया गया जिसका उपस्थित लोगो ने भरपूर आनन्द लिया।
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