ब्रेकिंग न्यूज वालों – ये खबर नहीं मिली? या दिखानी नहीं है?



फ्रेंच जर्नल “मीडिया पार्ट” ने खबर दी है कि नए मिले दसॉल्ट के दस्तावेजों से पता चलता है कि राफेल जेट करार के लिए रिलायंस के साथ संयुक्त उपक्रम बनाना आवश्यक था। यह खबर एनडीटीवी डॉट कॉम ने सुबह साढ़े नौ बजे दे दी थी और रात 10.55 पर इसका पूरा विवरण नवजीवन इंडिया डॉट कॉम पर हिन्दी में हैं। टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज दिखाने की जल्दबाजी और इस मारे तमाम गलतियां करने वाले मीडिया संस्थानों को ऐसी खबरों के मामले में कोई जल्दबाजी नहीं रहती है। रात 11.15 बजे “राफेल सौदे में नए दस्तावेज़” गूगल करने पर ऊपर की खबरों में नवजीवन की ही खबर है। नीचे राफेल की पुरानी खबरें। नए शुरू हुए एक दो समाचार पोर्टल पर यह खबर है पर विज्ञापनों से भरे रहने वाले और चुनाव में पैसे लेकर खबर छापने वाले अखबारों में से किसी में यह खबर नहीं दिखी। इसे विस्तार से सुबह देखेंगे।

फिलहाल, नवजीवन ने लिखा है, दस्तावेज़ से साबित होता है कि दसॉल्ट को राफेल विमान का सौदा हासिल करने के लिए रिलांयस डिफेंस को अपने भारतीय साझीदार के रूप में लेना पड़ा, क्योंकि ऐसा करना उसके लिए ‘अनिवार्य और आवश्यक’ था। दसॉल्ट एविएशन को राफेल विमान का सौदा लेने के लिए अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस के साथ मजबूरी में समझौता करना पड़ा था, क्योंकि इस कंपनी को उसके सामने ‘ट्रेड ऑफ’ यानी लेन-देन की शर्त के तौर पर रखा गया था। यह खुलासा राफेल सौदे से जुड़े एक दस्तावेज़ से हुआ है जिसे फ्रांस के न्यूज़ पोर्टल मीडियापार्ट ने हासिल किया है।

यही नहीं, दसॉल्ट एविएशन के डिप्टी सीईओ लोइक सेगालेन ने अपने कर्मचारियों के सामने यह बात तभी स्पष्ट कर दी थी जब मई 2017 में उन्होंने रिलायंस डिफेंस के साथ नागपुर में दसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस नाम से संयुक्त उपक्रम लगाने का एलान किया था। यह जानकारी उस दस्तावेज़ में है जिसे दसॉल्ट के स्टाफ ने तैयार किया है।” मीडियापार्ट के मुताबिक दसॉल्ट ने इस दस्तावेज़ पर टिप्पणी करने से इनकार किया है। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वां ओलांद ने 21 सितंबर को मीडियापार्ट को दिए इंटरव्यू में कहा था कि रिलायंस डिफेंस को राफेल सौदे में दसॉल्ट का साझीदार बनाने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि भारत सरकार ने रिलायंस डिफेंस का नाम सुझाया था। हालांकि भारत सरकार इनकार करती रही है कि रिलायंस डिफेंस को दसॉल्ट का ठेका दिलवाने में उसकी कोई भूमिका थी।

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ट्वीट में कहा है कि, “फ्रांस के मीडिया में राफेल को लेकर विस्फोट खुलासा, जिससे पता चलता है कि रिलायंस डिफेंस को दसॉल्ट का पार्टनर ट्रेड ऑफ डील के तहत बनाया गया था।” वहीं वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा है कि इस खुलासे से एक बार फिर साबित हो गया है कि नरेंद्र मोदी ने फ्रांस को मजबूर किया रिलायंस डिफेंस को दसॉल्ट का साझीदार बनाने के लिए। उन्होंने ट्वीट में कहा कि इससे फ्रांस्वां ओलांद की बात भी सच साबित हुई है।

वरिष्ठ पत्रकार एवं अनुवादक संजय कुमार सिंह जी के फेसबुक वाल से 

संपर्क - anuvaad@hotmail.com

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